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एआई की भूमिका एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली पर मदरहुड विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन

रुड़की। मदरहुड विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय द्वारा “शैक्षणिक नवाचार में एआई की भूमिका, वैश्विक प्रासंगिकता और भारतीय ज्ञान प्रणाली का संवर्धन : अवसर या चुनौतियाँ” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. (डॉ.) नरेंद्र शर्मा ने दीप प्रज्वलन कर किया।

मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) नरेंद्र शर्मा ने कहा कि 21वीं सदी में एआई शिक्षा के हर आयाम को नई दिशा दे रही है। यह तकनीक सीखने की पद्धति में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सक्षम है तथा भविष्य के समाज और मानव विकास की दिशा तय करेगी।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. (डॉ.) सविता रावत (अध्यक्ष, CTEF उत्तराखंड), प्रो. (डॉ.) संजय कुमार (अध्यक्ष, CTPD भारत) तथा मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) सत्येंद्र गुप्ता (डीन, शिक्षा संकाय, गलगोटिया विश्वविद्यालय) मंचासीन रहे।

वक्ताओं ने कहा कि भारत को तकनीकी रूप से अग्रणी बनाने के लिए एआई की समझ और उपयोग आवश्यक है, अन्यथा हम वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जाएंगे।
संगोष्ठी में अतिथि वक्ता के रूप में प्रो. (डॉ.) अनोज राज, लेफ्टिनेंट (डॉ.) अनुजा रोहिल्ला, डॉ. जुगनू खट्टर भाटिया, डॉ. रीना तिवारी, डॉ. श्वेता रानी एवं डॉ. विनीता चौधरी ने अपने शोध व विचार साझा किए। दो दिवसीय संगोष्ठी में विभिन्न राज्यों से लगभग 97 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से भाग लेते हुए शोध पत्र प्रस्तुत किए। प्रथम दिवस ऑफलाइन व द्वितीय दिवस ऑनलाइन सत्र आयोजित हुए। तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः प्रो. (डॉ.) अनोज राज एवं प्रो. (डॉ.) अरुणा आंचल ने की।

समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) के.एम. भंडारकर (राष्ट्रीय अध्यक्ष, CTEF भारत) ने कहा कि भारत का भविष्य तकनीक और भारतीय परंपरा के समन्वय पर आधारित होगा।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव अजय गोपाल शर्मा, डायरेक्टर रिसर्च प्रो. पी.के. अग्रवाल, परीक्षा नियंत्रक डॉ. अनुपम गुप्ता, अधिष्ठाता कला एवं मानविकी संकाय प्रो. श्रीपाल सिंह, अधिष्ठाता विज्ञान संकाय प्रो. विकास गुप्ता सहित विभिन्न संकायों के अधिष्ठातागण उपस्थित रहे।

कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षा संकाय के प्रो. बबीता सिंह, डॉ. संतोष कुमार शर्मा, डॉ. कुलदीप, डॉ. बिमला, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. विशाल शर्मा, डॉ. आशीष तोमर, प्रियंका, सुजाता भारती, पूनम सिंह, अमरीश कुमार एवं शोधार्थियों-छात्रों का विशेष योगदान रहा।
मंच संचालन डॉ. बिमला ने किया।
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