रुड़की की अद्वितीय विभूति - लाला सेठ केदारनाथ की गौरवगाथा
जन्म : 6 अक्टूबर 1906 | निधन : 6 अक्टूबर 1980

रुड़की की समृद्ध परंपरा में यदि किसी नाम को सामाजिक, धार्मिक और औद्योगिक योगदान के लिए सदैव स्मरण किया जाएगा, तो वह है लाला सेठ केदारनाथ। एक ऐसे व्यक्तित्व जिन्होंने न केवल अपने व्यवसायिक कौशल से शहर का नाम रोशन किया, बल्कि शिक्षा, समाजसेवा और जनकल्याण के कार्यों से रुड़की की आत्मा में स्थायी स्थान बना लिया।

सेठ केदारनाथ, रुड़की के प्रतिष्ठित व्यापारी, बैंकर्स, समाजसेवक और आर्यसमाज के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। उनके पूर्वज जायसी मल (मंगलौर क्षेत्र) के प्रतिष्ठित वैश्य परिवार से थे, जिनके पूर्वज सौदागर मल और लौती राम 1890 के दशक में मंगलौर से रुड़की आ बसे थे।

गंगा नहर के निर्माण के बाद रुड़की का व्यापारिक और औद्योगिक स्वरूप बढ़ा, और इसी समय गोयल परिवार ने भी यहाँ अपनी व्यावसायिक जड़ें मजबूत कीं। 1890 के दशक में लाला लौती राम और उनके उत्तराधिकारी लाला केदारनाथ ने नगर के सामाजिक और आर्थिक विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया।

सेठ केदारनाथ ने ज्वालापूर में भारत की दूसरी प्लाइवुड फैक्ट्री , यूनाइटेड टिम्बर प्लाइवुड इंडस्ट्री की स्थापना कर औद्योगिक इतिहास में नया अध्याय जोड़ा। उन्होंने नेहरू नेशनल इंटर कॉलेज, मंगलौर की स्थापना हेतु 10000 रुपये वर्ष 1943 में दान दिए ।
शिक्षा के क्षेत्र में उनका दृष्टिकोण इतना प्रगतिशील था कि उन्होंने अनेक विद्यालयों, धर्मशालाओं और मंदिरों को खुले हाथों से दान दिया।
लाला केदारनाथ का आर्य समाज से गहरा जुड़ाव रहा। उन्होंने 1944 में आर्य समाज रुड़की को भूमि दान में दी और व्यायामशाला (जिमनैजियम) निर्माण के लिए सहायता दी , आज उस स्थान को आर्य उपवन के नाम से जाना जाता है , समाज की स्मारिका 1978 में भी उनके दान और सेवा का विस्तार से उल्लेख मिलता है।
वह न केवल धर्मप्रेमी थे बल्कि कर्मठ सुधारक भी थे, जिन्होंने आर्य समाज के सिद्धांतों को व्यवहार में उतारा।
‘सेठ केदारनाथ के सिक्के’ और व्यापारी योगदान
जब रुड़की का व्यापारिक ढांचा तेजी से बढ़ रहा था, तब सेठ ललितराम–केदारनाथ बैंकर्स के नाम से जारी 2 , 4 , 8 , 12 आने के निजी सिक्के प्रचलन में आए। ये सिक्के आज भी रुड़की के आर्थिक इतिहास की दुर्लभ स्मृति हैं।

नागरिक योगदान और नगर निगम भवन पर अंकित नाम
रुड़की नगर पालिका के प्रथम बोर्ड में लाला केदारनाथ सदस्य और उपाध्यक्ष रहे।
नगर निगम भवन के शिलालेख पर आज भी उनका नाम अंकित है — यह इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने नगर प्रशासन और विकास में कितनी अहम भूमिका निभाई।
आदर्शों की विरासत – आज की पीढ़ी तक
सेठ लाला केदारनाथ की परंपरा को आज उनके वंशज आगे बढ़ा रहे हैं।
उनके पौत्र गौरव गोयल, रुड़की के पूर्व मेयर, उसी समर्पण के साथ शहर के शैक्षणिक, सामाजिक और धार्मिक कार्यों में सक्रिय हैं।
उन्होंने भी 2022 में अपने जन्मदिन के अवसर पर सोलानी नदी श्मशान घाट समिति को भूमि दान देकर अपने दादा के पदचिह्नों का अनुकरण किया।
लाला केदारनाथ के नाम पर आज भी सोलानी नदी श्मशान घाट, नेहरू नेशनल इंटर कॉलेज, मंगलौर और नगर निगम भवन में शिलालेख विद्यमान हैं। ये सिर्फ पत्थर नहीं, बल्कि उनके समर्पण, सेवा और संस्कार के जीवंत प्रतीक हैं।
6 अक्टूबर – उनके जन्म और पुण्यतिथि के अवसर पर
रुड़की उन्हें श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता के साथ नमन करता है।
उनकी स्मृति हमें यह सिखाती है कि समाजसेवा और कर्मनिष्ठा से ही सच्चा गौरव प्राप्त होता है।
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